Trisha Gai Ek Bund Se

130.00

Publisher ‏ : ‎ OSHO Media International (24 October 2019)
Language ‏ : ‎ Hindi
Cover : Softcover

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SKU: B5000151 Category: Product ID: 46563
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Description

मनुष्य की गहनतम आकांक्षा क्या है? मनुष्य के प्राणों में छिपी अंतरतम प्यास क्या है? एक ही आकांक्षा है, एक ही प्यास है—शांति की खोज। इस पेपरबैक पुस्तिका में ओशो इस अनूठी खोज के लिए निमंत्रण भी देते हैं और मार्गदर्शन भी। ओशो कहरते ‍हैं : अशांति और शांति लक्ष्य नहीं हैं, केवल सूचक हैं, केवल लक्षण हैं। यह बात प्राथमिक रूप से समझ लेना जरूरी है, तो आने वाले चार दिनों की ‘शांति की खोज’ की यात्रा पूरी-पूरी स्पष्ट हो सकती है। शांति को मत चाहिए और अशांति को दूर करने की कोशिश मत करिए। अशांति को समझिए और जीवन को बदलिए। जीवन की बदलाहट शांति का अपने आप आगमन बन जाती है। जैसे कोई आदमी किसी बगीचे की तरफ घूमने निकले, वह जैसे-जैसे बगीचे के पास पहुंचने लगता है, वैसे ही ठंडी हवाएं उसे घेरने लगती हैं, वैसे ही फूलों की सुगंध उसके आस-पास मंडराने लगती है, पक्षियों के गीत सुनाई पड़ने लगते हैं। शांति परमात्मा के पास पहुंचने की खबर है। वह परमात्मा के बगीचे के पास उड़ने वाले फूलों की सुगंध है।

#1: शांति की खोज
#2: सात चक्रों की साधना
#3: संकल्प की कुंजी
#4: सत्य की छाया है शांति

किसी ऋषि ने गाया है: हे परमात्मा! अंधकार से आलोक की तरफ ले चल! मृत्यु से अमृत की तरफ! असत्य से सत्य की तरफ! वही सारी मनुष्यता के प्राणों की आकांक्षा भी है, वही पुकार है। और अगर हम जीवन में शांत होते चले जा रहे हों, तो समझना चाहिए कि हम उस पुकार की तरफ चल रहे हैं जो जीवन के गहरे से गहरे प्राणों में छिपी है। और अगर हम अशांत हो रहे हों, तो जानना चाहिए कि हम गलत दिशा में जा रहे हैं, उलटी दिशा में जा रहे हैं। अशांति और शांति लक्ष्य नहीं हैं, केवल सूचक हैं, केवल लक्षण हैं। शांत मन खबर देता है इस बात की कि हम जिस दिशा में चल रहे हैं वही दिशा जीवन की दिशा है। अशांत मन खबर देता है इस बात की कि हम जहां चल रहे हैं वह जगह चलने की नहीं। हम जिस ओर जा रहे हैं वह जाने की मंजिल नहीं। हम जहां पहुंच रहे हैं वहां पहुंचने के लिए पैदा नहीं हुए। अशांति और शांति लक्षण हैं–हमारे जीवन के विकास को सम्यक दिशा मिली है या असम्यक दिशा मिल गई है। शांति लक्ष्य नहीं है। और जो लोग शांति को सीधा ही लक्ष्य बना लेते हैं; वे कभी भी शांत नहीं हो पाते। अशांति को भी मिटाना सीधा संभव नहीं है। जो आदमी अशांति को ही मिटाने में लग जाता है; वह और भी अशांत होता चला जाता है। अशांति सूचना है–जीवन उस दिशा में जा रहा है; जहां जाने के लिए वह पैदा नहीं हुआ है। और शांति खबर है इस बात की कि हम चल पड़े उस मंदिर की तरफ जो कि जीवन का लक्ष्य है। —ओशो

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