Samadhi Ki Surahi

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ऐसा कौन है जगत में जो ‘समाधि की सुराही’ से न पीना चाहता हो, क्‍योंकि यही एकमात्र सुराही है जो भरी है आनंद से शांति से, करुणा से, मैत्री से, प्रेम से, उत्‍सव से, सत से, चित से, अमृतत्‍व से। इस ग्रंथ की जो एक अन्‍य खूबी है वह यह कि संत रज्‍जब के सूत्रों को हमारे लिए बोधगम्‍य बनाबने के अलावा ओशो साधकों, जिज्ञासुओं के प्रश्‍नों के समधान भी देते चलते हैं। ये प्रश्‍न आपके है, मेरे है, हम सबके हैं, ये सार्वभौम है, क्‍योंकि प्रत्‍येक गैर-जागा हुआ व्‍यक्ति समस्‍त गैर-जागे हुए व्‍यक्तियों का प्रतिनिधि है, जैसे कि हर जागी हुई चेतना समस्‍त जागी हुई चेतनाओं की प्रतिनिधि है। इसलिए यह सारा वार्तालाप हमारे ही जीवन से सीधा संबंधित है।

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