Description
ओशो कहते हैं—”जैसे अंधेरे में कोई अचानक दीये को जला दे, और जहां कुछ भी दिखाई न पड़ता हो वहां सभी कुछ दिखाई पड़ने लगे, ऐसे ही जीवन के अंधकार में समाधि का दीया है। या जैसे कोई मरुस्थल में वर्षों से वर्षा न हुई हो और धरती के प्राण पानी के लिए प्यास से तड़पते हों, और फिर अचानक मेघ घिर जाएं और वर्षा की बूंदें पड़ने लगें, तो जैसा उस मरुस्थल के मन में शांति और आनंद नाच उठे, ऐसा ही जीवन के मरुस्थल में समाधि की वर्षा है। या जैसे कोई मरा हुआ अचानक जीवित हो जाए, और जहां श्वास न चलती हो वहां श्वास चलने लगे, और जहां आंखें न खुलती हों वहां आंखें खुल जाएं, और जहां जीवन तिरोहित हो गया था वहां वापस उसके पदचाप सुनाई पड़ने लगें, ऐसा ही मरे हुए जीवन में समाधि का आगमन है।” मानव जीवन की समस्याएं अनंत हो सकती हैं, लेकिन समाधान एक ही है : समाधि। पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु: अंधकार ध्यान अकेले होने का अनुभव जीते-जी मृत्यु का अनुभव सम्मोहन और ध्यान