Piya Ko Khojan Main Chali

740.00

  • Binding: Hardcover
  • Publisher: Rebel
SKU: B5000171 Category: Product ID: 49003
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Description

प्रेम सरिता है-सरोवरर नहीं मनुष्य के इरादे कभी भी परमात्मा तक नहीं पहुंच पाते-नहहीं पहुंच सकते हैं। मनुष्य के इरादे मनुष्य की वासनाओं, इच्छाओं का ही विस्तार हैं। मनुष्य तो परमात्मा को भी चाहेगा, तो परमात्मा को चाहने के लिए नहीं, कुछ और चाहने के लिए-धनन के लिए, पद के लिए, प्रतिष्ठा के लिए। मंदिर हैं, मस्जिद हैं, गिरजे हैं, गुरुद्वारे हैं। इतनी पूजा है, इतनी प्रार्थना, इतनी आराधना-औरर सब झूठी। इरादे ही नेक नहीं हैं, बुनियाद में ही भूल है। लोग प्रार्थनाएं कर रहे हैं, लेकिन प्रार्थनाएं दबी हुई वासनाओं के ही रूप हैं-कुछछ मांग है। और जहां मांग है, वहां कैसी प्रार्थना! प्रार्थना धन्यवाद है, अनुग्रह का भाव है। प्रार्थना इस बात का अहोभाव है कि इतना दिया है जिसके कि मैं योग्य नहीं था! मेरा पात्र छोटा है, मेरी गागर को सागर से भर दिया है! और चाहूं भी तो क्या चाहूं! और मांगूं भी तो क्या मांगूं! न मेरी योग्यता है, न मेरा कुछ अर्जन-फिरर भी मुझ पर आकाश बरसा है! जीवन दिया है, जीवन को सौंदर्य दिया है, अनुभव की क्षमता दी है, चैतन्य दिया है, चैतन्य में संभावना दी है मुक्ति की-औरर कौन से मोती मांगने हैं! ओशो.

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Weight 0.750 kg

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