Description
“देश तो होते ही नहीं। देश तो झूठ हैं। राष्ट्र तो मनुष्य की ईजाद हैं। असलियत है व्यक्ति की। इस देश ने गौतम बुद्ध, उपनिषद के ऋषि, महावीर, आदिनाथ–आकाश की ऊंचाई से ऊंचाई छुई है। वह भी एक भारत है। वही पूरा भारत होना चाहिए।
और, एक भारत और भी है। राजनीतिज्ञों का, चोरों का, कालाबाजारियों का। भारत के भीतर भारत है।
इसलिए यह सवाल नहीं है कि कौन देश श्रेष्ठ है और कौन देश अश्रेष्ठ है? सवाल यह है कि किस देश में अधिकतम श्रेष्ठ लोगों का निवास है और किस दिश में अधिकतम निकृष्ट लोगों का निवास है। भारत में दोनों मौजूद हैं।”—ओशो
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
ध्यान प्रक्रिया है रूपांतरण की
मेरी दृष्टि सृजनात्मक है
मैं तुम्हें इक्कीसवीं सदी में ले जा सकता हूं
भारत: एक सनातन यात्रा