Na Janam Na Mrityu

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Description

कर्म-संन्यास विश्राम की अवस्था है, आलस्य की नहीं। कर्मयोग और कर्म-संन्यास दोनों के लिए शक्ति की जरूरत है। दोनों के लिए। आलसी दोनों नहीं हो सकता। आलसी कर्मयोगी तो हो ही नहीं सकता, क्योंकि कर्म करने की ऊर्जा नहीं है। आलसी कर्मत्यागी भी नहीं हो सकता, क्योंकि कर्म के त्याग के लिए भी विराट ऊर्जा की जरूरत है। जितनी कर्म को करने के लिए जरूरत है, उतनी ही कर्म को छोड़ने के लिए जरूरत है। हीरे को पकड़ने के लिए मुट्ठी में जितनी ताकत चाहिए, हीरे को छोड़ने के लिए और भी ज्यादा ताकत चाहिए। देखें छोड़ कर, तो पता चलेगा। एक रुपए को हाथ में पकड़ें। पकड़े हुए खड़े रहें सड़क पर, और फिर छोड़ें। पता चलेगा कि पकड़ने में कम ताकत लग रही थी, छोड़ने में ज्यादा ताकत लगरही है।

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Weight 0.500 kg