MERA MUJHMEIN KUCHH NAHIN

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करो सत्संग गुरुदेव से
अंधेरा नया नहीं, अति प्राचीन है। और ऐसा भी नहीं है कि प्रकाश तुमने खोजा न हो। वह खोज भी उतनी ही पुरानी है, जितना अंधेरा। क्योंकि यह असंभव ही है कि कोई अंधेरे में हो और प्रकाश की आकांक्षा न जगे। जैसे कोई भूखा हो और भोजन की आकांक्षा पैदा न हो। नहीं, यह संभव नहीं है।

भूख है तो भोजन की आकांक्षा जगेगी।
प्यास है तो सरोवर की तलाश शुरू होगी।
अंधेरा है तो आलोक की यात्रा पर आदमी निकलता है।
अंधेरा भी पुराना है, आलोक की आकांक्षा भी पुरानी है; लेकिन आलोक मिला नहीं। उसकी एक किरण के भी दर्शन नहीं हुए। भटके तुम बहुत, खोजा भी तुमने बहुत, लेकिन परिणाम कुछ हाथ नहीं आया। बीज तो तुमने बोए, लेकिन फसल तुम नहीं काट पाए।

SKU: B5000035 Category: Product ID: 23477
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Description

#1: करो सत्संग गुरुदेव से
#2: गुरु मृत्यु है
#3: पिया मिलन की आस
#4: गुरु-शिष्य दो किनारे
#5: आई ज्ञान की आंधी
#6: सुरति का दीया
#7: उनमनि चढ़ा गगन-रस पीवै
#8: गंगा एक घाट अनेक
#9: सुरति करौ मेरे सांइयां

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Additional information

Weight 1 kg