Description
रैदास कहते हैं। मैंने तो एक ही प्रार्थना जानी-जिस दिन मैंने ‘मैं’ और ‘मेरा’ छोड़ दिया।वही बंदगी है। जिस दिन मैंने मैं और मेरा छोड़ दिया। क्योंकि मैं भी धोखा है और मेरा भी धोखा है। जब मैं भी नहीं रहता और कुछ मेरा भी नहीं रहता, तब जो शेष रह जाता है तुम्हारे भीतर, वही तुम हो, वही तुम्हारी ज्योति है-शाश्वत, अंनत, असीम। तत्वमसि! वही परमात्मा है। बंदगी की यह परिभाषा कि मैं और मेरा छूट जाए, तो सच्ची बंदगी। – ओशो पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु: • प्रेम बहुत नाजुक है, फूल जैसा नाजुक है!• जीवन एक रहस्य है• मन है एक झूठ, क्योंकि मन है जाल-वासनाओं का• अप्प दीपो भव! अपने दीये खुद बनो•प्रेम और विवाह• साक्षीभाव और तल्लीनताओशो के होने ने ही हमारे पूरे युग को धन्य कर दिया है। ओशो ने अध्यात्म के चिरंतन दर्शन को यथार्थ की धरती दे दी है।गोपालदास ‘नीरज’