JEEVAN SANGEET

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“जो वीणा से संगीत के पैदा होने का नियम है, वही जीवन-वीणा से संगीत पैदा होने का नियम भी है। जीवन-वीणा की भी एक ऐसी अवस्था है, जब न तो उत्तेजना इस तरफ होती है, न उस तरफ। न खिंचाव इस तरफ होता है, न उस तरफ। और तार मध्य में होते हैं। तब न दुख होता है, न सुख होता है। क्योंकि सुख एक खिंचाव है, दुख एक खिंचाव है। और तार जीवन के मध्य में होते हैं–सुख और दुख दोनों के पार होते हैं। वहीं वह जाना जाता है जो आत्मा है, जो जीवन है, जो आनंद है।
आत्मा तो निश्चित ही दोनों के अतीत है। और जब तक हम दोनों के अतीत आंख को नहीं ले जाते, तब तक आत्मा का हमें कोई अनुभव नहीं होगा।” —ओशो

SKU: B5000082 Category: Product ID: 24542
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Description

पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
क्या आप दूसरों की आंखों में अपनी परछाईं देख कर जीते है?
क्या आप सपनों में जीते है?
हमारे सुख के सारे उपाय कहीं दुख को भुलì

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Additional information

Weight 0.750 kg