Description
“कृष्ण जैसे व्यक्ति की करुणा अपरिसीम है। यह जानते हुए कि हम सुनकर भी नहीं समझ पाएंगे, हम देखकर भी नहीं समझ पाएंगे, फिर भी एक असंभव प्रयास कृष्ण जैसे लोग करते हैं। उनकी वजह से जिंदगी में थोड़ा नमक है, उनकी वजह से जिंदगी में थोड़ी रौनक है, जिन्होंने असंभव प्रयास किया।” —ओशो “कृष्ण अर्जुन से उस क्षण, उस मार्ग, मृत्यु की उस कला की बात इन सूत्रों में करेंगे, जिस कला को जानने वाला, जिस मार्ग को पहचानने वाला, मर कर मरता नहीं, अमृत को उपलब्ध हो जाता है।” —ओशो “अर्जुन को पता हो या न पता हो, ये कृष्ण के वचन जन्मों-जन्मों तक भी वह सुनता रहे, तो भी इनको सुनकर ही संतोष नहीं मिलेगा। इनके अनुकूल रूपांतरित होना पड़ेगा, इनके अनुकूल अर्जुन को बदलना पड़ेगा। और अगर इनके अनुकूल अर्जुन बदल जाए, तो अर्जुन स्वयं कृष्ण हो जाएगा। कृष्ण हो जाए, तो ही संतुष्ट हो सकेगा। उसके पहले कोई संतोष नहीं है। उसके पहले अतृप्ति बढ़ती चली जाएगी।अगर कोई वचनों से ही तृप्त होना चाहे, तो कभी तृप्त न हो सकेगा। चलना पड़ेगा उस ओर, जिस ओर ये वचन इशारा करते हैं, इंगित करते हैं। जहां ये ले जाना चाहते हैं, वहां कोई पहुंचे तो तृप्ति होगी।” —ओशो