Description
सपनों से कोई जीवन नहीं बदलता। सपनों से कोई क्रांति नहीं आती। सपनों से कोई भीतर बुनियादी फर्क नहीं पड़ता। आप वही के वही आदमी बने रहते हैं। यह जो, यह जो चित्त की परिपूर्ण क्रांति है, जो टोटल म्यूटेशन जो है, पूरी बदलाहट जो है, वह बदलाहट तो सिर्फ जागरण से होती है। और उस जागरण का प्राथमिक सूत्र है: विवेक। और प्राथमिक शत्रु है: विश्वास। इसलिए विश्वास नहीं, विवेक। निद्रा नहीं, जागरण। बेहोशी नहीं, होश। ये जितने विकसित होंगे, उतना जीवन-सत्य के निकट पहुंचना आसान हो जाता है। ओशो