Description
अजहूं चेत गंवार! नासमझ! अब भी चेत! ऐसे भी बहुत देर हो गई। जितनी न होनी थी, ऐसे भी उतनी देर हो गई। फिर भी, सुबह का भूला सांझ घर आ जाए तो भूला नहीं। अजहूं चेत गंवार! अब भी जाग! अब भी होश को सम्हाल! ये प्यारे पद एक अपूर्व संत के हैं। डुबकी मारी तो बहुत हीरे तुम खोज पाओगे। -ओशो
अनुक्रम
#1: आस्था का दीप–सदगुरु की आंख में
#2: मनुष्य का मौलिक गंवारपन
#3: बड़ी से बड़ी खता–खुदी
#4: जीवन एक श्लोक है
#5: जीवन–एक वसंत की वेला
#6: जानिये तो देव, नहीं तो पत्थर
#7: सहज आसिकी नाहिं
#8: धर्म का जन्म–एकांत में
#9: भक्ति–आंसुओं से उठी एक पुकार
#10: अनंत भजनों का फल: सुरति
#11: मन मिहीन कर लीजिए
#12: स्वच्छंदता और सर्व-स्वीकार का संगीत
#13: आत्मदेव की पूजा
#14: ये जमीं नूर से महरूम नहीं
#15: मन के विजेता बनो
#16: संन्यासी: परमभोग का यात्री
#17: प्रभु की भाषा: नृत्य, गान, उत्सव
#18: प्रेम एक झोंका है अज्ञात का
#19: शून्य की झील: झील में कमल
#20: जीवन का एकमात्र अभिशाप: अहंकार
#21: पलटू भगवान की गति न्यारी