Ajahun Chet Ganwar

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Description

प्रेम के अतिरिक्त कोई श्रवण नहीं है।तो यारी पहले बननी चाहिए। प्रेम पहले बनना चाहिए, तब ज्ञान। प्रेम के पीछे आता है ज्ञान। और जिसने सोचा कि ज्ञान के पीछे प्रेम आएगा, वह भूल में पड़ा। उसने बैल पीछे बांध दिए गाड़ी के। यह गाड़ी अब कहीं जाएगी नहीं। प्रेम पहले आता है। भाव पहले आता है। हृदय पहले आता है¬- -तब सिर। जिसने सोचा कि पहले सिर, फिर हृदय को ले आएंगे, वह कभी भी नहीं ला पाएगा। क्योंकि सिर तो हृदय के खिलाफ है और हृदय को कभी उमगने न देगा। सिर तो संदेह है। और हृदय है आस्था, श्ऱद्धा। तो सिर तो हजार उपाय करेगा संदेह खड़े करने के। सिर में तो संदेह ही लगता है। सिर से कभी श्रद्धा नहीं होती। श्रद्धा हृदय से होती है। सरलचितता चाहिए। विनम्रता चाहिए। अकड़ का अभाव चाहिए। प्रेम में पड़ने की हिम्मत चाहिए।

Additional information

Weight 2.00 kg