Aathato Bhakti Jigayasa Bhag 1

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भक्ति का मार्ग भाव का मार्ग है, रस का मार्ग है, गीतों का मार्ग है। ॠषिवर शांडिल्य के भक्ति-सूत्रों पर बोलते हुए ओशो ने गीतों और शेरो-शायरी के प्रयोग से उन्हें अत्यंत सरस बना दिया है। भक्ति के सहज सरस मार्ग की कुंजी देते हुए ओशो कहते हैं : ‘शांडिल्य को खूब हृदयपूर्वक समझना। शांडिल्य बड़ा स्वाभाविक सहज-योग प्रस्तावित कर रहे हैं। जो सहज है, वही सत्य है। जो असहज हो, उससे सावधान रहना। असहज में उलझे, तो जटिलताएं पैदा कर लोगे। सहज से चले तो बिना अड़चन के पहुंच जाओगे। ‘इन अपूर्व सूत्रों पर खूब ध्यान करना। इनके रस में डूबना। एक-एक सूत्र ऐसा बहुमूल्य है कि तुम पूरे जीवन से भी चुकाना चाहो तो उसकी कीमत नहीं चुकाई जा सकती।’

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